औरंगाबाद। बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि देश में ह्यूमर यानी हास्य-व्यंग्य की कमी के चलते सहिष्णुता का स्तर तेजी से नीचे गिरा है। नांदेड़ पुलिस की ओर से धार्मिक भावनाएं आहत करने को लेकर मामला दर्ज किए जाने के खिलाफ 5 युवकों की याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी की।जस्टिस टी.वी. नालावाड़े औक जस्टिस विभा कांकनवाड़ी ने कहा, कुछ ऐसे लोग हैं, जो राजनीतिक लाभ उठाने के लिए ऐसे मुद्दों को हवा देते हैं ताकि समाज में विवाद पैदा हों। ऐसे लोग संवेदनशील मुद्दों को अपने हित साधने के लिए आधार बनाते हैं। 2016 में अशोक देशमुख (27) ने फेसबुक पर भगवान परशुराम और सैराट फिल्म के किरदार पार्श्य की तस्वीर डाली थी। इस पोस्ट को उसके 4 दोस्तों- कुंडलिक देशमुख (32), रवि सावंत (34), गजानन हेंगडे (32) और सुभाष जावडे (27)- ने लाइक किया था। इस पोस्ट पर गणेश दिलीप पेनसलवार नाम के शख्स ने गुस्से से भरे कई कॉमेंट किए और फिर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाते हुए इन लोगों के खिलाफ एफआईआर करा दी। इस पर देशमुख और उनके दोस्तों ने हाई कोर्ट का रुख किया और एफआईआर को रद्द कराए जाने की मांग की।
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